ये है मेरी धरती ,
यहां,
इन्द्रधनुषी
रंगों का
है संसार ,
सर्दी की गुनगुनी धूप,
गर्मी की ठंडी छांव
सावन की हरीयाली
और
पतझड़ का संगीत-
कानों में रस घोलते हैं
यहां,
पल पल मेले,
त्यौहार पर्व नवेले
स्नेह प्यार के रेले
सब नदियों को
आपस में जोड़ते हैं-
गीत बहुत हैं
राग बहुत हैं,
अमनो चैन का साज़ बहुत है,
कोई
बुरी नज़र डाले
तो
एकता की आवाज़ बहुत है
ये मेरी जमीं है
यहां
काम बहुत है,
साजो सामान बहुत है।
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