Wednesday, November 30, 2011

मेरा दोस्त...


वह मेरा दोस्त है,
वह बहुत बोलता है,
उग्र बातें करता है,
व्यवस्था के प्रति,
नाराजगी जाहिर करता है,
मैं उसे अक्सर बड़बोला कह देता हूं-
मुझे उससे डर नहीं लगता,
लेकिन जब वह,
शांत हो जाता है,
चुप्पी साध लेता है,
तब मुझे उससे,
डर लगने लगता है,
कि कहीं यह,
तूफान से पहले की शांति तो नहीं-

Saturday, November 26, 2011

अब मैं हूं समझौतावादी


कई बार खुद को,
खुद से ही डर लगने लगता है-
कहीं मैं,
किसी अपने पर गुस्सा होकर,
नाराज़ न हो जाऊं-




फिर अगर उसने मुझे मनाया नहीं तो,

नाराज़ होकर वह मेरा अपना,
मुझ से दूर ना चला जाए,

शायद उसका साथ हमेशा के लिए छूट जाए-
तब मुझे,
अपने उस गुस्से और नाराज़गी की कीमत,
किसी "अपनेपन" को खोकर चुकानी पड़े-


इस लिए अब मैं समझौता करता हूं,
गुस्सा नहीं ,
ताकि अपनेपन से रिश्ता कायम रहे-
******************