Sunday, May 31, 2015

कभी तो...

कभी तो जिन्दगी, सीधे रास्ते पर चलेगी.
ये गम की रात है, कभी तो दिन में ढलेगी.

भले पत्थरीला है रास्ता, मंजिल का ए दोस्त,
आहिस्ता ही सही, कभी तो अपनी बनेगी.....

Thursday, December 18, 2014

बस में नहीं

बस में नहीं किसी का आना,
किसी का जाना
मग़र 
इन्साफ़ के तराजू में
क्या तुलता है
इन्सान को ही 
समझ ना आया
अब तलक
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Monday, November 3, 2014

ये सफ़र है जिन्दगी का


सफ़र के बाद 
जब मैं 
अपने घर 
सुरक्षित पहुंच जाता हूं
तो
भगवान का शुक्रिया अदा करता हूं
"कि मुझे तो बस
बचाने वाला तो तूं ही है"
वरना तो 
सड़क के चप्पे-चप्पे पे
मौत खड़ी 
इन्तज़ार करती रहती है
हर पल.....
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Saturday, September 27, 2014

बिखरते सपने

ये जानता हर शख्स
कि देने वाला मेरा रब ही है
मगर उम्मीदों का चराग
किसी और की लौ से जलाने की उम्मीद
ना जाने क्यों बाध लेता है
और
जब उम्मीद टूटते ही
बिखर जाते हैं सपने

Thursday, September 26, 2013

जिन्दगी पतंग

उम्मीदों की डोर से 
उड़ रही जिन्दगी की पतंग.
किसी ने छोड़ा मझधार में
कोई आज भी है संग.j

Friday, August 30, 2013

खुशबू का सफ़र

अब निकला है एक बगूला खुशी का,
निराशा के जंगल से,
मिशन पर निकला है एक निडर पर्वतारोही,
भ्रष्टाचार के अमंगल से,
बदलने वक्त को,
गन्दे रक्त को,
अंधेरे गुनाह के दागों को,
उजाले की धूप से धोने की जुगत,
अब भी उसके ह्रदय में संचित है,
फूलो की खुशबू की तरह...

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Friday, June 21, 2013

स्वार्थ की कुल्हाड़ी

प्रकृति से छेड़छाड़,
स्वार्थ की कुल्हाड़ी से,
परम्पराओं का कटान,
कर्म को त्याग,
धर्म के पीछे दौड़ना,
अपनी चाल में चल रही,
नदियों को मोड़ना,
साफ़ सुथरे पानी में,
अपने जिस्म का कचरा छोड़ना-
अपने पाप के बोझे को,
जिस्म पर लाद कर,
धरती का सीना मरोड़ना,
आपाधापी के बवंडर में
फिर विस्फोट तो होगा ही...
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