मैनें जो किया
अच्छा हुआ
तो
मैंने किया
बुरा हुआ
तो
कुदरत ने किया-
मैं क्या-
अच्छा ही करता हूं
अच्छा ही करता हूं
बुरा नहीं-
लेकिन
चन्गों से
पन्गे निकलते हैं
और
पन्गों से चन्गे
यह भीकुदरत का नियम है-
कुदरत के नियम को
हम स्वीकार करें
या न करें
कुदरत अपना काम
करती है,
ज़ख़मों को भरती है
और
अहं को हरती है।
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