मेरा यह बलोग उन लोगों को समर्पित है जो किसी प्रभावशाली, दौलतमन्द की लाठी से हांकी गई भैंस की
चपेट में आ कर घायल हो गए,ज़ख़्मी हो गए।
Saturday, December 31, 2011
कल की सुबह..
सर्द सुबह, नई सी लगी, मगर चेहरे पे नक़ाब, पुरानी सी लगी, घनी कोहरे की चादर, पहले से कुछ मैली सी लगी, शायद वक्त के साथ, घूमते घूमते, घिस गई है, जीवन की रस्सी, कमजोर होकर, कमजोर कड़ी की तरह, बस टूटने के कगार पर है, कल की सुबह
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