अब निकला है
एक बगूला खुशी का,
निराशा के जंगल से,
मिशन पर निकला है एक निडर
पर्वतारोही,
भ्रष्टाचार के अमंगल से,
बदलने वक्त को,
गन्दे रक्त को,
अंधेरे गुनाह के दागों को,
उजाले की धूप से धोने की
जुगत,
अब भी उसके ह्रदय में संचित
है,
फूलो की खुशबू की तरह...
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