Saturday, November 13, 2010

हवा के रंग-संग


ए- हवा
तूं मुझे अपने साथ ले चल
वहां, जहां,
धर्म ग्रंथ पर हाथ रख कर
कोई 
झूठी सौगन्ध नहीं खाता,
जहां,
मनवता के नाम पर,
व्यापार नहीं करता,
जहां ,
सब के खून का रंग एक है-

मेरी पुकार सुन,
एक गुबार,
मुझे अपने संग ले उड़ा,
आसमान की ओर-

रास्ता कठिन,
आसमान संकड़ा और संगीन,
रास्ते में ,
तूफान, भूकम्प, सुनामी मिले,
सभी ने मुझे घूरा,
मैं भयभीत आगे निकला,
आसमान पर,
पड़ाव आया,
ओजोन ने पूछा,
ए- बन्दे
तूं यहां किसके साथ आया,
मैंने कहा
हवा के संग, 
ओजोन ने कहा यह तो छलावा है,
हवा कहां
यह तो गर्दोगुबार है,
हवा चाहिए तो लौट जा,
धरती के एक कोने में
सिमटी हुई मिलेगी हवा,
उसे आत्मसात कर,
उसका विस्तार कर,
जो
बनाती है धरती को स्वर्ग।

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