Saturday, November 13, 2010

अंतर


मैनें जो किया
अच्छा हुआ
तो 
मैंने किया
बुरा हुआ
तो
कुदरत ने किया-

मैं क्या-
अच्छा ही करता हूं
बुरा नहीं-

लेकिन
चन्गों से
पन्गे निकलते हैं
और
पन्गों से चन्गे
यह भी
कुदरत का नियम है-


कुदरत के नियम को
हम स्वीकार करें
या न करें
कुदरत अपना काम 
करती है,
ज़ख़मों को भरती है
और
अहं को हरती है।

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