कुपोषित बच्चों,
कुपोषित महिलाओं
को चाहिए
पोषण,
वृद्धों को चाहिए
आश्रय,
अनाथ को चाहिए
सहारे की छत्त
और
गरीब को चाहिए,
रोटी, कपड़ा और मकान.
आम आदमी को चाहिए,
डायन मंहगाई से निज़ात,
लेकिन हुकमरान,
उन्हें दे रहे हैं
मोबाईल फोन,
बात करने के लिए,
मंहगाई से,
सहारे की छत्त से,
और
बीमारी की लत से..
आज फिर जिस्म को धूप ने छेड़ा है
आज फिर मौसम ने शरारत की है
सड़क को भी पता चल गया है
कि मैं नंगे सिर और नंगे पांव ही
जमीं पर चल रहा हूं....
मग़र जमीं पर तो चल रहा हूं
खुले आसमां के नीचे
मेरे पांव जमीं पर तो हैं..
किसी की अरमानों के सीने पर नहीं.
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