Saturday, April 30, 2011

हम परिन्दे




हम तो परिन्दे है


इन्सां के मोहताज़ नहीं
खुद ही ढूंढ लेंगे
अपना दाना पानी
और आशियाना-
मोहताज़ तो इन्सां है
 दूसरे पर आश्रित रह कर
किसी दूसरे में
ढूंढता है
अपना दाना पानी।


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1 comment:

  1. सही कहा आपने अपना अपना दाना पानी है ........आपकी पोस्ट पसंद आई ............

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