Friday, April 1, 2011

दिल को पिंजरे में कैद ना करना



----------------------
तुम बन्द दरवाजे हो
तो अपनों के लिए
दिल के कपाट 
खोल कर रखना,
दिल को काबू में रखना 
मग़र इस परिन्दे को
पिंजरे में कैद ना करना-


अपनी आंखों में बसंत भर कर
प्यार के पौधे को
ममता के हाथों से सींचना
ताकि दोस्ती के नन्हें पत्तों पर 
कभी पतझड़ ना सके

शरद हो तो
अपनी गोद के लिहाफ़ से गरमा देना
बुरी हवाएं हमला करें तो
अपनी कोमल सांसों के फव्वारे छोड़ना
ताकि प्यार की कोंपलें
मुरझा ना जाए-


सांझ की लाली
होठों पर 
सुबहा-सुनहरी बिन्दिया 
माथे पर
अलसाई-अंगड़ाई को
धीमें से सहला भर देना
किसी तेज हवा के झोंके से
स्नेह का दीप
बुझ ना जाए

सपनों को हकीकत के
पंख लगाना
मन की हर क्यारी में
ममता के फूल खिलाना
और 
बादल बन 
नेह की बून्दे बरसाना
जब हो एकाकीपन,
उदासी के पल
तो इस बगिया में बैठ
बचपन की यादों में
खो जाना
खुद को कीचड़ में
कमल की तरहा उगाना


बन्द दरवाजे हो
तो अपनों के लिए
दिल के कपाट
खोल कर रखना
दिल को काबू में रखना
मग़र इस परिन्दे को
पिंजरे में कैद ना करना-
********************************

No comments:

Post a Comment