Friday, May 6, 2011

मेरा सफ़र


माना जिन्दगी सफ़र है,
इस लिए चल रहा हूं,
मंजिल कहां है,
किस बाज़ार में मिलेगी
ये जनता नहीं मैं-


जनता हूं तो बस इतना,
मुझे चलना है
और चलता रहूंगा तो,
शायद मेरी ,
मंजिल भी मेरे साथ चलेगी,
मैं रुकुंगा तो वो भी थम जाएगी।
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