Sunday, September 25, 2011

नाराज़ बादल से मनुहार..


आ बरस ले, 
अपनी ख़्वाहिशें पूरी कए ले,
ऎ मेरे नाराज़ बादल-


तूं मेरा है और
ये टूटा मकां भी मेरा है,
मग़र,
टूटा नहीं है तुझ से 
मेरा नाता-


अपने,
टूटे आशियाने को तो,
फिर से सजा-संवार लूगां,
मग़र तुझ से टूटे नाते को,
फिर से जोड़ना मुश्किल होगा,
इसे तो,
कोई कारीगर भी
नहीं जोड़ सकता-


इस लिए तूं बरस,
अपनी ख़्वाहिशों को
ना तरस- 
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