Thursday, June 30, 2011

उम्र की सड़क


पिता का साथ बचपन में ही छूटा,
तब मै अपने पैरों पर भी,
ठीक से खड़ा नहीं हो सका था-


लेकिन आज मेरा बेटा,
काफी बड़ा हो गया है,
उम्र में और ऊंचाई में,
और अपने पैरों पर भी खड़ा है,
लेकिन मुझे "अहसास" है,
कि वो मेरा बेटा है-


इस लिए आज भी मैं,
अपने बेटे की अंगुली थामे रहता हूं ,
जब वो सड़क पर चलता है,
सड़क को पार करता है.....
वो भले ही कितना भी,
बड़ा हो गया हो,
मेरे लिये तो बच्चा है, 
क्यों कि 
मैंने जो संघर्ष की ,
सड़क पर जिन हादसों को झेला,
मेरे अनुभव से मैं
अपने बेटे को,
सड़क हादसों से 
तो बचा कर रखूं-
( यह कविता मैंने फादर्स-डे पर वर्ष 2011 में लिखी)

5 comments:

  1. आदरणीय नरेश जी
    सादर प्रणाम !

    आज भी मैं,
    अपने बेटे की अंगुली थामे रहता हूं ,
    जब वो सड़क पर चलता है,
    सड़क को पार करता है.....
    वो भले ही कितना भी,
    बड़ा हो गया हो,
    मेरे लिये तो बच्चा है,


    आपके बेटे के लिए आपकी छत्रछाया चिरकाल तक बनी रहे …
    बहुत भावपूर्ण रचना है पिता-पुत्र के शाश्वत् संबंधों को ले'कर , बधाई और आभार !

    समय मिले तो कृपया , इस लिंक के माध्यम से मेरी यह रचना पढ़-सुन कर प्रतिक्रिया दें -
    आए न बाबूजी …

    …और ताज़ा पोस्ट पर बंजारा गीत भी अवश्य देखें-सुनें ।

    शुभकामनाओं सहित
    राजेन्द्र स्वर्णकार

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  2. आज आया हूं........बहुत अच्छा लगा.....निरन्तरता बनी रहेगी...ये आपने अत्यन्त अच्छा किया...

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  3. Bahut acchi lgi Kavita..man ko choo gai.. Badhaee...

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    1. शुक्रिया दीनदयाल जी

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