Tuesday, July 26, 2011

पहलू बदलती जिन्दगी


तेज रफ्तार और पहलू बदलती,
महंगी जिन्दगी में,
मेरी दादी और बूढ़ी हो गई है,
अब उसे ऊंचा भी सुनाई देने लगा है,
लेकिन अब वह पहले से अधिक, 
सवाल पूछने लगी है-


लेकिन मेरे परिवारजन,
उनके सवालों से खीजने लगे हैं,
परेशान होने लगे हैं,
क्योंकि 
कुछ सवाल ऎसे होते हैं ,
जिनका जवाब देने के लिए,
कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है-


मंहगी और तेज रफ्तार,
जिन्दगी को ढोते,
मेरे परिवारजनों में,
दादी मां के सवालों का,
जवाब देने लायक,
उर्जा बाकी नहीं रहती,

जिन्दगी से जूझते,
मेरे परिवारजन,
बूढ़ी दादी के सवालों का,
जवाब देने की उर्जा नहीं बचा पाते-


लेकिन मेरी दादी को,
बोलते रहने के लिए,
सवालों के जवाब चाहिए,
मैं जानता हूं,
वे जब सवाल नहीं करेंगी,
तो उनका बोलना,
हमेशा के लिए बन्द हो जाएगा-
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