Friday, May 31, 2013

खेल नियति का

अज़ब है नियति का खेल,

कभी फ़ुर्सत नहीं,

तो कभी उदासी-एकाकी का मेल,

एक घड़ी सौ बरसों की लगी कभी,

तो कभी बरस बीत गए एक घड़ी में....
*****************************

No comments:

Post a Comment